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प्रतापपुर से भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते फर्जी जाति प्रमाण पत्र विवाद में घिरीं, हाईकोर्ट ने जांच के दिए निर्देश

NBPNEWS/प्रतापपुर/सरगुजा। 22नवंबर  2025
छत्तीसगढ़ की प्रतापपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते गंभीर आरोपों में घिर गई हैं। यह सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है, और अब उन पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने के आरोप लगाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय आदिवासी समाज, सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है, जिससे जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।


आरोप—पति के आधार पर बनाया जाति प्रमाण पत्र

आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि जाति प्रमाण पत्र हमेशा पिता की वंशावली के आधार पर जारी किया जाता है। लेकिन आरोप है कि विधायक शकुंतला पोर्ते ने कथित रूप से पति की जाति के आधार पर ST प्रमाण पत्र बनवाया। समाज के नेताओं का आरोप है कि विधायक और उनके पति मूल आदिवासी होने के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं, जिससे संदेह और बढ़ गया है। इसे आदिवासी समुदाय ने अपने अधिकारों का गंभीर हनन बताते हुए धोखाधड़ी करार दिया है।
मामला हाईकोर्ट पहुंचा, प्रमाण पत्र रद्द करने की मांग

विवाद बढ़ने के बाद मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट तक पहुंच गया। याचिका में विधायक के जाति प्रमाण पत्र को गलत बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति को जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बाद प्रदेश में राजनीतिक माहौल और गरमा गया है।
27 नवंबर को विधायक को उपस्थित होने का नोटिस

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला समिति ने जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। समिति ने विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते को नोटिस जारी करते हुए 27 नवंबर को उपस्थित होने और सभी मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। समिति ने स्पष्ट किया है कि दस्तावेजों में किसी भी प्रकार की विसंगति पाए जाने पर रिपोर्ट सीधे हाईकोर्ट को भेजी जाएगी। इसके बाद कोर्ट ही आगे की कार्रवाई तय करेगा।
आदिवासी संगठनों ने FIR की मांग की

विवाद बढ़ने के साथ कई आदिवासी संगठनों ने विधायक की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग तेज कर दी है। उनका कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ना गंभीर अपराध है। कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी नेताओं ने भी इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए तत्काल FIR दर्ज करने की मांग की है।

आदिवासी समाज का कहना है कि कई तथ्य पहले ही सार्वजनिक हो चुके हैं, इसलिए जांच रिपोर्ट का इंतजार किए बिना भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
जांच रिपोर्ट के बाद ही आगे की दिशा तय

जिले में यह मामला चर्चा का मुख्य विषय बना हुआ है। लोगों की निगाहें 27 नवंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। समिति की ओर से हाईकोर्ट को भेजी जाने वाली रिपोर्ट ही आगे की राजनीति और कानूनी कार्यवाही की दिशा तय करेगी।
विवाद ने विधायक शकुंतला पोर्ते के राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। वहीं विपक्ष इस मुद्दे को बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में आक्रामक अंदाज में उठा रहा है।
आने वाले दिनों में इस विवाद के और भी बड़े राजनीतिक प्रभाव देखने को मिलने की संभावना है।

दूसरी ओर मोहला मानपुर अं चौकी जिले में भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला जिला पंचायत चुनाव 2025 के समय गरमाया था। तब नम्रता सिंह पर आरोप लगाकर छवि धूमिल करने की कोशिश की गई थी । 

सुशासन त्यौहार में भी आवेदन लगे थे फर्जी जाति प्रमाण पत्र की जांच हेतु जिसका निराकरण जिला प्रशासन आज तक नहीं कर पाई। 
सहायक आयुक्त को लगे शिकायत पत्र अंतराज्यीय मामले में एक राज्य के अनुसूचित जनजाति दूसरे राज्य में अनुसूचित जनजातीय नहीं माना जाता है। ऐसा छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातीय और अन्य पिछड़ा वर्ग जाति प्रमाण पत्र जांच अधिनियम की धारा 8 - 13 की धारा में उल्लेखित होने की दलील दी गई थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन कभी पारदर्शी जांच कर पाएगी ? क्या जनजातीय गौरव की बात करने वाली प्रशासन मोहला मानपुर अं चौकी क्षेत्र के आदिवासियों को न्याय दिला पाएगी? बरहाल ये जांच का विषय है। जिसमें जिला प्रशासन निष्क्रिय प्रतीत होती है। क्या सहायक आयुक्त कभी जांच कर पाएगी?

जिस प्रकार प्रतापपुर भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते पर लगे आरोपों के तर्ज पर क्या मोहला मानपुर के आदिवासी समाज फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में आवाज उठाएगी।

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