NBPNEWS/ मोहला मानपुर अं चौकी/ 08 मार्च 2025 / हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं के अधिकारों, समानता और उपलब्धियों का प्रतीक है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रगति को रेखांकित करता है। समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में यह दिवस प्रेरणा का स्रोत बनता है।लेकिन उसकी जमीं हकीकत कुछ और ही जिसकी सच्चाई बयां करता लखनलाल लहरिया कृत कविता है।
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बताओ मैं क्या लिखूं ?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर
नारी के वर्तमान परिवेश पर
निश दिन घटनाएं घट रही देश पर
नारी की खामोशी या विवश पर
बताओ मैं क्या लिखूं?
अप्रतिम सौंदर्य लिखुं या रौद्र रूप
विचित्र गुणधर्म लिखुं या अर्ध स्वरूप
रब की सुंदर कीर्ति लिखुं या अद्भुत अनुप
बताओ ना
बताओ मैं क्या लिखूं?
नारी को भोग्या लिखुं या जग सृजनहार
देवी की प्रतिमूर्ति लिखुं या श्रद्धा रसधार
विराट गौरव गाथा लिखूं या महिमा अपार
बताओ ना
बताओ मैं क्या लिखूं?
अंतर्मन की वेदना लिखूं या करुण चीत्कार
गमनीम दृश्य लिखूं या प्रदत्त उनका अधिकार
छेड़छाड़ की घटना लिखूं या दरिंदगी बलात्कार
बताओ ना
बताओ मैं क्या लिखूं?
नारी सशक्तिकरण लिखूं या उस पर ज्वलंत सवाल
पैसों में बिकता कानून लिखुं या सत्ता धीशों का धमाल
कागज पर बनते नियम लिखूं या व्यवस्था खस्ता हाल
बताओ ना
बताओ मैं क्या लिखूं?
मेरा अचरज विचार लिखुं या उद्देलित मन की टंकार
अपराधी को अपराधी लिखूं या हुक्म रानों का सहकार
नारी की चुप्पी लिखूं या सरकार पर धिक्कार
बताओ ना
बताओ मैं क्या लिखूं?
अमानवीय घटनाओं पर खींज लिखूं या आंखों की रुआंसी
अपराध ना दोहराई जाए दे दो ऐसी मस्त सियासी
ऐसी दरिंदों को गोली मारो या दे दो तुरंत फांसी
बताओ ना
बताओ मैं क्या लिखूं?
रचनाकार
"लखनलाल लहरिया"
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