NBPNEWS/11 सितम्बर /जिला मोहला मानपुर के मानपुर विकासखंड अंतर्गत धुर नक्सल प्रभावित गट्टेगहन गांव स्थित नदी में साल भर पहले पी एम जी एस वाय के तहत बना पुल इलाके में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बीच टूट कर जमीदोज हो गया। पुल के टूटने से महाराष्ट्र के मुहाने पर बसे ग्राम संबलपुर समेत हजारों फिट ऊंचे पहाड़ के शीर्ष पर बसे ग्राम बुकामरका व सुड़ियाल से सड़क संपर्क पूर्णतः टूट गया है। यही नहीं महाराष्ट्र की सीमा पर संबलपुर गांव में मौजूद पुलिस कैंप से भी उक्त पुल के टूटने से सड़क संपर्क टूट गया है।
बता दें कि उक्त तीनों गांव के ग्रामीण आदिवासी तथा कैंप में तैनात केंद्रीय अर्ध सैनिक बल ITBP व जिला बल के सुरक्षा जवान चारों ओर से घिर गए हैं। गांव टापू में तब्दील हो गई हैं। जरूरत मंद ग्रामीण टूटे हुए पुल अथवा नदी से जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर हो गए हैं। वहीं कैंप में तैनात सुरक्षा जवान सड़क के जरिए मुख्यालय से कटे हुए हैं। महाराष्ट्र से नक्सलियों की घुसपैठ रोकने तथा इलाके में शांति बहाली के लिए संबलपुर गांव में कैंप स्थापित कर नक्सल मोर्चे पर आई टी बी पी व डी एफ के जवानों की तैनाती यहां की गई है।
गौरतलब है कि कोराचा से पहाड़ के ऊपर मौजूद बुकमरका गांव तक करोड़ों की लागत से साल भर पहले ही सड़क_पुल निर्माण हुआ था। इलाका नक्सलियों का गढ़ होने तथा पूर्व में हुई नक्सल वारदातों के मद्देनजर पुलिस जवानों ने बीहड़ों के बीच लाल खौफ के साए में अपनी जान हथेली पे रखकर निर्माण को सुरक्षा दी थी। ताकि महाराष्ट्र की सीमा में माओवादियों के गढ़ तक शासन प्रशासन की पहुंच बन सके तथा इलाके के आदिवासी बाशिंदे भी सड़क के जरिए शासन प्रशासन की मुख्य धारा से जुड़ सके। विडंबना ही कहें कि पुलिस की सुरक्षा में हुए निर्माण में भी निर्माण एजेंसी व प्रशासनिक करिंदों ने जमकर भ्रष्टाचार किया। लिहाजा गुणवत्ता विहीन निर्माण के चलते उक्त पुल टूट कर जमीदोज हो गया। वहीं निर्माण को सुरक्षा देने वाले सुरक्षा जवान ही इसके चलते अपने मुख्यालय से कट गए। तथा ग्रामीण गांवों में ही कैद हो कर रह गए।
यह भी बता दें कि बीते डेढ़ माह के भीतर उक्त पुल दो बार टूट गया। माह भर पहले ही इसी पुल का एक बड़ा हिस्सा नदी के बहाव को न झेल सका और टूट गया। तब निर्माण एजेंसी द्वारा पुल के टूटे हुए हिस्से में रेत भरी बोरियां डालकर संधारण की खानापूर्ति कर दी गई। बामुश्किल उक्त क्षतिग्रस्त पुल से छोटे वाहनों की आवाजाही हो पा रही थी। अब उक्त पुल दूसरी बार टूट कर पूरी तरह से जमीदोज हो गया। वाहन तो दूर पुल पैदल पार करने लायक भी नहीं बचा। किस्तों में टूट टूट कर पुल निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयान कर रहा है। वहीं इसे लेकर निर्माण ठेकेदार व जिम्मेदार विभागीय कारिन्दो पर अब तक कोई कार्यवाही न होना जिम्मेदार उच्च अधिकारियों की उदासीनता को दर्शा रहा है।
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