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जिले के कलेक्टर को किया जा रहा सोशल मीडिया में बदनाम, जानिए मोहला उपसरपंच अब्दुल की बहाली का सच

NBPNEWS/ 12 सितंबर/मोहला (छत्तीसगढ़) - 
ग्राम पंचायत मोहला के उपसरपंच अब्दुल खालिक के मामले में सोशल मीडिया हुआ गर्म, बहाली के नाम पर मिले बधाईयां वही कलेक्टर मोहला की छवि को किया गया धूमिल क्या होगी इन पर कार्यवाही ?

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सोमवार से ही प्रतिष्ठित लोगो व कांग्रेसी द्वारा गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ और व्यापारी संघ मोहला व्हाट्सएप ग्रुप में अब्दुल खालिक को बधाई देने का सिल सिला चालू हो चुका था, पोस्ट में लिखा था " हमारे मोहला उपसरपंच अब्दुल खालिक जानु को कलेक्टर जी द्वारा पुनः उपसरपंच पद पर बहाल किया गया है" आखिर ये कैसी बधाई है, जबकि फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र मामले में कलेक्टर मोहला द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। 
वही दूसरी ओर तर्क वितर्क व्हाट्स एप "हमारे मोहला उपसरपंच अब्दुल खालिक जानु को कलेक्टर जी द्वारा पुनः उपसरपंच पद पर बहाल किया गया है" पर कमेंट हुआ की "कलेक्टर का कांग्रेस में प्रवेश हो गया है। जैसे अनेक गंभीर आरोप कलेक्टर मोहला पर भाजपाइयों ने लगाया है।

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क्या इस पर कोई आदेश आया था अगर नही, तो ऐसा भ्रामक जानकारी सोशल मीडिया पर क्यों परोसा जा रहा है। इस भ्रामक खबर से कलेक्टर मोहला की छवि को बदनाम किया जा रहा है क्या इस कृत्य करने वालो के ऊपर कोई कानूनी कार्यवाही होगी।
        
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   ### जाने क्या है मामला       

  ग्राम पंचायत मोहला के उपसरपंच अब्दुल खालिक के खिलाफ फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने और ₹50,000 की वित्तीय अनियमितता के आरोपों पर अपील अदालत ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मामले में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) मोहला द्वारा दिनांक 10 मई 2024 को पारित आदेश के खिलाफ अपील की गई थी, जिसमें अब्दुल खालिक को तत्काल प्रभाव से उपसरपंच पद से निलंबित कर दिया गया था। अदालत ने अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश में कई गंभीर त्रुटियों का हवाला देते हुए मामले को पुनः परीक्षण के लिए वापस कर दिया।

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### आरोपों का विवरण
फरवरी माह में मोहला के मेला/मड़ई अवैध तरीके से मेला व्यापारियों से पैसों का लेनदेन व झूला ठेकेदारों को फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र का जारी करने का आरोप था ।
                    बता दे की मामले की शुरुआत उपसरपंच अब्दुल खालिक पर फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने और QR कोड के माध्यम से ₹50,000 का स्थानांतरण करने के आरोपों से हुई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि अब्दुल खालिक ने यह अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर वित्तीय अनियमितता की है। इस आधार पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) मोहला ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 की धारा 40(1)(ख) के तहत उन्हें निलंबित कर दिया।

हालांकि, अपीलकर्ता अब्दुल खालिक के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि उक्त जांच रिपोर्ट संदिग्ध थी। अधिवक्ता के अनुसार, अपीलकर्ता को न तो प्रतिपरीक्षण का अवसर दिया गया, न ही उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को स्वीकार किया गया। इसके अलावा, उपसरपंच द्वारा राशि लेने के संबंध में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किए गए थे।

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### अदालत का निर्णय

अपील की सुनवाई के बाद, कलेक्टर अदालत ने मामले का विस्तार से अवलोकन किया। अदालत ने कहा कि अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश आनन-फानन में लिया गया था और इसमें कई कानूनी खामियां थीं। मुख्य रूप से, अपीलकर्ता को बिना अभियोग पत्र प्रदान किए और बिना पर्याप्त प्रतिरक्षा का अवसर दिए आदेश पारित किया गया था, जो कि छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत अनिवार्य है।

अदालत ने यह भी पाया कि ग्राम पंचायत मोहला द्वारा बाजार संचालक ठेकेदार के अनुबंध से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जांच में पेश नहीं किए गए थे। इसके अलावा, पंचायत द्वारा झूला लगाने वाले से संबंधित वित्तीय लेन-देन की जानकारी भी जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं थी। इन सभी तथ्यों के आधार पर अदालत ने निर्णय दिया कि जांच प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं और इस पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है।

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### आगे की कार्रवाई

अदालत ने अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए मामले को पुनः परीक्षण के लिए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) मोहला को वापस भेज दिया। अब अधिकारी को सभी दस्तावेजों, साक्ष्यों और जांच रिपोर्ट की गहन समीक्षा करनी होगी, जिसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

अदालत ने यह भी आदेश दिया कि ग्राम पंचायत मोहला के तत्कालीन सरपंच, उपसरपंच और सचिव द्वारा फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में उनकी भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। 

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###सरपंच मोहला की भूमिका संदिग्ध एफ.आई.आर. दर्ज कराने के दिए आदेश।

मेला मड़ई में झूला लगाने हेतु जारी हुए फर्जी अनापत्ति पत्र में सरपंच मोहला के बिना जानकारी लेटरहेड व स्टांप का दूरपयोग हुआ था जो की गंभीर मामला है, उसके बावजूद भी सरपंच मोहला सरस्वती ठाकुर ने संबंध निभाते हुए एफ.आई.आर. करने में दूरी बनाई थी, जबकि 20 फरवरी को NBPNEWS पर दिए बयान में पुलिस कंप्लेन की बात कही थी, जिसमे आज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।
वही कलेक्टर अदालत ने सरपंच मोहला को फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र मामले में पुलिस में प्राथमिकी शिकायत दर्ज कराने के निर्देश दिए है।
               उक्त मामले में सरपंच सरस्वती ठाकुर की संदिग्ध भूमिका पर ग्रामीणों में आक्रोश है, उनके कार्य प्रणाली में सवाल खड़े होने लगे हैं, वही सूत्रों के अनुसार ग्रामीण सरपंच के खिलाफ खोल सकते है मोर्चा।

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### तत्कालीन सचिव अर्जुन कलिहारे पर उठे कई सवाल आए जांच के घेरे में

तत्कालीन सचिव ने अपने बयान में अनापत्ति पत्र जारी ना करने व कोई भी टेंडर जारी ना करने की दलील दी थी। ग्राम पंचायत मोहला के लेटरपेड में जारी अनापत्ति प्रमाण पत्रक के सबंध में सचिव द्वारा विधिवत अपने उच्चाधिकारियों को सूचित किया जाना था अथवा लेटर पेड के दुरूपयोग के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराया जाना था, किन्तु सचिव द्वारा उक्त कार्य नहीं किया गया है जिससे अर्जुन कलिहारे की भूमिका भी संदिग्ध है। तत्संबंध में सचिव के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने का आदेश कलेक्टर अदालत ने दिए है, 3 दिवस के अंदर सचिव अपना पक्ष रखेंगे।

### अब्दुल खालिक ने साफ करवाया अपना पंचायत का कक्ष

 सूत्रों की माने तो बुधवार को उपसरपंच के कक्ष की साफ सफाई अब्दुल के कहने पर हुआ भी पंचायत के ऊपर लगे बोर्ड पर उपसरपंच की तस्वीर पर ढके बोरे को हटाया भी गया और दो घण्टे बाद वापिस ढक भी दिया गया क्या सचिव को बहाली के आदेश मिले होंगे?
अगर दोबारा से बहाली होती है, तो मोहला के पंच गण क्या देंगे उपसरपंच को अपना समर्थन जबकि 27 फरवरी को अब्दुल खालिक के द्वारा इस्तीफा न देने के कारण 18 पंच सामूहिक इस्तीफा का पत्र कलेक्टर मोहला को दिए थे।

### निष्कर्ष

यह मामला छत्तीसगढ़ पंचायत प्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता के महत्व को रेखांकित करता है। अदालत का निर्णय इस बात का संकेत है कि जांच प्रक्रिया में उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना आवश्यक है, ताकि किसी भी व्यक्ति को उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुनः जांच के बाद क्या नए तथ्य सामने आते हैं और क्या उपसरपंच अब्दुल खालिक पर लगे आरोप सही साबित होते हैं या नहीं। तथा सोसल मीडिया की भ्रामक गतिविधियों पर क्या कार्यवाहियां होती है।

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