NBPNEWS/24 अगस्त 2024/रायपुर/दुर्ग:** छत्तीसगढ़ की शोधार्थी अंजलि ने कोसा रेशम के सुधार और उसकी एंटीबैक्टीरियल गतिविधियों पर अपने अनूठे शोध कार्य से न केवल पीएचडी की उपाधि प्राप्त की, बल्कि इस राज्य को एक नई पहचान दिलाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अंजलि ने 23 अगस्त 2024 को हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग में अपने पीएचडी की अंतिम वायवा सफलतापूर्वक प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने रेशम के रेशों की सतह पर ग्रीफ्टिंग द्वारा संशोधन और उसकी एंटीबैक्टीरियल गतिविधियों का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया।
अंजलि का यह शोध छत्तीसगढ़ में प्रमुखता से उत्पादित होने वाले कोसा रेशम पर केंद्रित है, जिसे उसकी कोमलता, भव्यता, और जैव अनुकूलता के लिए जाना जाता है। हालांकि, इस रेशम की कुछ कमजोरियों जैसे कि धुलाई के बाद सिकुड़ना, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस का जल्दी लगना, और सूर्य की रोशनी में पीला पड़ने की प्रवृत्ति के कारण इसे और बेहतर बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। अंजलि ने इन समस्याओं का समाधान करने के लिए कोसा रेशम के रेशों पर ग्रीफ्टिंग तकनीक का प्रयोग किया, जिससे इन कमियों को दूर किया गया और रेशम के एंटीबैक्टीरियल गुणों को बढ़ाया गया।
इस शोध में अंजलि ने विनाइल बेंजाइल ट्राइमेथिलअमोनियम क्लोराइड (VBT) और [2-(मेथाक्रायलॉयलॉक्सी) एथिल] ट्राइमेथिलअमोनियम क्लोराइड (MAETC) का उपयोग करके कोसा रेशम को संशोधित किया, जिससे इसे अधिक टिकाऊ, रोगाणुरोधी और रंगाई के लिए अधिक उपयुक्त बनाया जा सका। इस शोध के निष्कर्षों के अनुसार, इस संशोधित रेशम का उपयोग कपड़ों, नैपकिन, सेनेटरी पैड, और अन्य स्वच्छता उत्पादों में किया जा सकता है, जिससे छत्तीसगढ़ में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
अंजलि के इस शोध कार्य को बाह्य परीक्षक श्रीमती आरती श्रीवास्तव और हेमचंद विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरुणा पलटा ने भी सराहा। सह शोध निदेशक डॉ. सतीश कुमार सेन ने बताया कि वे इस शोध कार्य को जल्द ही पेटेंट कराने की प्रक्रिया में हैं, जिससे इस तकनीक को वैश्विक स्तर पर भी मान्यता मिल सकेगी।
अंजलि के इस शोध से न केवल छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राज्य को एक वैश्विक पहचान भी मिलेगी। कोसा रेशम के इस नवाचार से छत्तीसगढ़ का नाम देश-विदेश में रोशन होगा, और यह राज्य इस क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरेगा। अंजलि ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, परिवार, और अपने पति को दिया है, जिन्होंने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया और इस उपलब्धि को संभव बनाया।
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