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जनजातीय अंचल में आत्मनिर्भरता की नींव: देवरसुर में शुरू हुआ 30 दिवसीय राजमिस्त्री प्रशिक्षण

मोहला 09 नवंबर 2025।
जिले के जनजातीय एवं वनीय अंचल में रहने वाले ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और सशक्तकाa पहल की गई है। कलेक्टर श्रीमती तूलिका प्रजापति के निर्देशन और जिला पंचायत सीईओ श्रीमती भारती चंद्राकर के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत देवरसुर, विकासखण्ड मोहला में 30 दिवसीय ‘राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का शुभारंभ किया गया।
यह प्रशिक्षण आरसेटी (RSETI), राजनांदगांव द्वारा ऑफ-कैम्पस मोड में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें ग्राम देवरसुर एवं आसपास के गांवों के 35 महिला एवं पुरुष प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) जैसे निर्माण कार्यों से जोड़ते हुए रोज़गारपरक कौशल विकास प्रदान करना है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिला राज्य का नवगठित एवं पांचवीं अनुसूची क्षेत्र है, जहाँ रोजगार के पारंपरिक साधन सीमित हैं। ऐसे में यह प्रशिक्षण ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार और आत्मनिर्भरता का नया द्वार खोल रहा है।
प्रशिक्षण अवधि में प्रतिभागियों को ईंट जोड़ाई, माप-जोख, सीमेंट-रेत अनुपात, प्लास्टरिंग, दीवार निर्माण, वाटर लेवल सेटिंग, सुरक्षा उपाय एवं निर्माण गुणवत्ता नियंत्रण जैसे विषयों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के पहले ही दिन प्रत्येक प्रतिभागी को राजमिस्त्री कार्य हेतु टूलकिट एवं सेफ्टी जैकेट वितरित की गई, जिससे वे प्रशिक्षण उपरांत अपने गांव में स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें।
इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को भी कौशल आधारित रोजगार से जोड़ते हुए, उन्हें गांवों में आवास निर्माण कार्यों की सक्रिय भागीदार बनाया जा रहा है। इससे न केवल महिलाएं परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही हैं, बल्कि गांव के विकास में भी उनकी निर्णायक भूमिका सुनिश्चित हो रही है।

कलेक्टर तूलिका प्रजापति ने कहा—

“यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल कौशल निर्माण नहीं, बल्कि जनजातीय युवाओं और महिलाओं को आत्मविश्वास एवं सम्मानजनक आजीविका से जोड़ने की पहल है। ग्रामीण निर्माण कार्यों में स्थानीय लोगों की भागीदारी से न केवल योजनाओं की गति बढ़ेगी, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बेहतर होगी।”

वहीं जिला पंचायत सीईओ  भारती चंद्राकर ने कहा 

“महिलाओं की सहभागिता से जिला अब विकास की नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। ग्रामीण निर्माण कार्यों में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के लिए ऐसे कौशल प्रशिक्षण भविष्य में भी निरंतर आयोजित किए जाएंगे।”

इस पहल का उद्देश्य महिला स्व-सहायता समूहों (SHG) की सदस्याओं को “लखपति दीदी” के रूप में उभारना है, ताकि वे अपने कौशल के बल पर स्थानीय निर्माण कार्य, छोटे ठेके और आत्मरोज़गार के क्षेत्र में कार्य कर सकें।

यह 30 दिवसीय राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम जिले में ‘आत्मनिर्भर ग्राम’ की अवधारणा को सशक्त करने और जनजातीय समुदायों को आत्मसम्मानपूर्ण आजीविका से जोड़ने की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम साबित हो रहा है।


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