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जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा – कोटूम किसान मेले में किसानों को दी माहू कीट से फसल बचाने का देसी तरीका

NBPNEWS/मोहला , 27 अक्टूबर 2025
परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत ग्राम सीवनी (विकासखंड मानपुर) में जिला स्तरीय “कोटूम जैविक किसान मेला” का आयोजन किया गया। इस मेले में जिलेभर से आए सैकड़ों प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया और जैविक खेती के महत्व व उसके व्यावहारिक उपायों की जानकारी प्राप्त की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक इंद्रशाह मंडावी ने कहा कि जैविक खेती ही आज की आवश्यकता है। रासायनिक उर्वरकों और संशोधित बीजों के कारण मिट्टी की उर्वरता घट रही है और लागत बढ़ती जा रही है। जैविक खेती अपनाने से लागत कम होती है, उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
उन्होंने कृषि विभाग को निर्देश दिए कि दलहन-तिलहन फसलों के प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा प्रत्येक प्रभावित किसान के खेतों का निरीक्षण कर मुआवजा प्रकरण तैयार किया जाए।
 कीट नियंत्रण के बताए गए जैविक उपाय

मेले में कृषि विकास अधिकारी जितेंद्र नेताम ने किसानों को फसलों में कीट प्रकोप, विशेषकर माहू (Aphid) नियंत्रण के लिए परंपरागत उपायों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि माहू की तीन प्रमुख प्रजातियाँ — हरा, भूरा एवं चकतेदार पीठ वाली — फसलों को भारी नुकसान पहुँचाती हैं। इनमें भूरा माहू सबसे अधिक हानिकारक होता है।
मुख्य जैविक उपाय:

खेत में पानी की अधिकता और नत्रजन उर्वरक का अत्यधिक उपयोग न करें।

कीट प्रभावित पौधों को अलग करें और खेत को भागों में बाँटकर सीमित क्षेत्र में नियंत्रण करें।

मेटाराजियम अनासोपली एवं बेवरिया बेसियाना जैविक कीटनाशी का 15-15 दिन के अंतराल में दो बार छिड़काव करें।
स्वयं निर्मित निमास्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे जैविक कीटनाशक भी प्रभावी हैं।

गेहूं के आटे का घोल (2 कप आटा + 1 लीटर पानी) सुबह के समय प्रभावित फसलों पर स्प्रे करने से माहू की मूवमेंट रुक जाती है और सूर्य की गर्मी से कीट नियंत्रण होता है।

माहू प्रभावित खेत की मिट्टी का घोल बनाकर स्प्रे करना भी कारगर माना गया है।
ग्रीष्मकालीन जुताई, फसल चक्र परिवर्तन और पैरा प्रबंधन को कीट नियंत्रण के लिए उपयोगी बताया गया।

अधिकारियों ने दी तकनीकी जानकारी

कृषि उपसंचालक जे.एल. मंडावी ने बताया कि यह मेला रजत जयंती वर्ष के अवसर पर रासायनिक मुक्त खेती को प्रोत्साहित करने हेतु आयोजित किया गया है। किसानों को परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत जैविक खेती हेतु प्रशिक्षण और सहायता दी जा रही है।
इस अवसर पर कृषि विभाग के आर.के. पिस्दा (अनुविभागीय अधिकारी कृषि), जी.पी. धुर्वे, सुरेश दामले, विनोद निर्मल, पूर्णेंद साहू, उद्यानिकी विभाग से विकास कुजुर और हेमंत कोसे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

"किसानों तक पहुंचे कृषि अधिकारी" — कौशिक

जनपद उपाध्यक्ष देवानंद कौशिक ने कहा कि अधिक उत्पादन की होड़ में रासायनिक खादों का बढ़ता उपयोग मानव स्वास्थ्य और मिट्टी दोनों के लिए खतरनाक है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया कि छोटे-छोटे स्तर पर गोष्ठियों और चौपालों के माध्यम से किसानों को जैविक खेती की जानकारी नियमित रूप से दी जाए।
कार्यक्रम में जनपद अध्यक्ष पुष्पा मंडावी, सभापति रवेंद्र मांझी, राजू पोटाई, बृजबती धुर्वे, मंगतू कोमरे, मानसिंह टेकाम, किसान मित्र दौलत सिंह पोटाई सहित अनेक जनप्रतिनिधि और किसान साथी मौजूद रहे।

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