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मोहला में धरना-प्रदर्शन, कलेक्टर कार्यालय तक निकाली रैली, मुख्यमंत्री सहित शीर्ष अधिकारियों को सौंपा ज्ञापन

NBPNEWS/मोहला, 14 अक्टूबर 2025।
एनआरएलएम (बिहान)– सीआरपी (सक्रिय महिला) संघ, छत्तीसगढ़ के बैनर तले आज मोहला के प्रसिद्ध छुरिया देवी मंदिर के सामने सक्रिय महिलाओं ने एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन आयोजित किया।
धरना समाप्ति के बाद महिलाओं ने कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकालते हुए अपनी आवाज बुलंद की और मुख्यमंत्री, पंचायत मंत्री, मुख्य सचिव, पंचायत सचिव, बिहान संचालक व कलेक्टर को संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन को नायब तहसीलदार  दिनेश साहू ने कलेक्टर की ओर से प्राप्त किया।
 मुख्य मांगें — “हम सम्मानजनक वेतन चाहते हैं, दया नहीं”

धरना स्थल पर महिलाओं ने एकस्वर में कहा कि ₹1910 प्रतिमाह का मानदेय उनके कार्य और दायित्व के अनुरूप नहीं है।
संघ ने शासन से निम्नलिखित मांगें रखीं —

वर्तमान ₹1910 प्रतिमाह मानदेय को सम्मानजनक वेतन स्तर तक बढ़ाया जाए।

मानदेय को “छत्तीसगढ़ शासन न्यूनतम वेतन अधिनियम” के अनुरूप दिया जाए।

वर्षों से कार्यरत महिलाओं को जबरन हटाने की प्रक्रिया रोकी जाए।

लोकोस, VPRP, लखपति दीदी कार्यक्रमों के ऑनलाइन भुगतान शीघ्र जारी किए जाएं।

सभी कैडरों को मोबाइल, नेट खर्च, दैनिक भत्ता एवं यात्रा भत्ता प्रदान किया जाए।

मानदेय प्रतिमाह सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाए।

नियुक्ति पत्र जारी कर सभी सक्रिय महिलाओं का नियमितिकरण किया जाए।

 धरना स्थल पर गूंजा सशक्त संबोधन

धरने का नेतृत्व प्रांताध्यक्ष श्रीमती पदमा पाटिल ने किया।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष भारती नेताम, सचिव ममता साहू, उपाध्यक्ष सपना साहू, तथा अन्य पदाधिकारी — सुनीता उइके, चन्द्रिका निषाद, सुभागा, मैनाबाई, ललिता, धनेश्वरी, शैलेन्द्री, इन्द्रा, जानकी, चम्पा, तारिणी, अनामिका, भगवता, अमृता, निर्मला सहित अनेक सक्रिय महिलाएं उपस्थित थीं।

सभी ने कहा कि ₹1910 में परिवार चलाना तो दूर, अपने मोबाइल व इंटरनेट खर्च ही पूरे नहीं होते।
पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में जहां सक्रिय महिलाओं को ₹6000 मानदेय दिया जाता है, वहीं छत्तीसगढ़ में महिलाओं को न्याय से वंचित रखा गया है।

सरकार से न्याय की उम्मीद, चेताया आंदोलन तेज करने का

संघ के प्रांतीय सलाहकार विश्वजीत हारोडे ने कहा —

 “शासन द्वारा सक्रिय महिलाओं का खुला शोषण किया जा रहा है। एक ओर सरकार ‘नारी सशक्तिकरण’ की बातें करती है, और दूसरी ओर मेहनत करने वाली महिलाओं को इतने कम मानदेय पर काम करने को मजबूर किया जा रहा है। यह उनके परिश्रम का अपमान है।”

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन को प्रदेशव्यापी रूप दिया जाएगा।

 महिलाओं का संकल्प

धरना स्थल पर महिलाओं ने एकजुट होकर कहा —

“हम अपने हक और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रखेंगे, जब तक शासन सुनवाई नहीं करता।”


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