छत्तीसगढ़ के सुदूर आदिवासी अंचल अबूझमाड़ के ब्रेहबेड़ा गांव की 22 वर्षीय खुशबू नाग ने नेशनल फिजिक कमेटी (NPC) रीजनल इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप 2025 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इस वर्ल्ड लेवल प्रतियोगिता में खुशबू ने न सिर्फ देशभर से आए दिग्गज खिलाड़ियों को चुनौती दी, बल्कि विदेशी प्रतियोगियों के बीच भी छत्तीसगढ़ की छाप बिखेरी। यह पहली बार था जब छत्तीसगढ़ की तरफ से इंटरनेशनल स्तर किसी प्रतिभागी ने भाग लिया।
खुशबू एक आदिवासी परिवार से आती हैं जहां उनके पिता एक बढ़ई हैं, जो बस्तर आर्ट का काम करते हैं। 2019 में मां को कैंसर से खोने के बाद जब खुशबू मानसिक तनाव घिरने लगी, तब उनके बड़े भाई ने उन्हें जिम जाने की सलाह दी। यहीं से उनका जीवन एक नया मोड़ लेने लगा। कहते है न मुश्किल में ही इंसान की असली पहचान होती है, इस दुख की घड़ी में खुशबू ने खुद को टूटने नहीं दिया और खुद को हर रोज बेहतर करने की राह पर चलने लगी।
खुशबू के कोच दिलीप यादव ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और NPC प्रतियोगिता के लिए मार्गदर्शन किया।
खुशबू अब तक तीन बार नेशनल लेवल पर छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और तीनों बार गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। साल 2024 में मुंबई में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में उन्हें "स्ट्रॉन्ग वुमन ऑफ इंडिया" का खिताब मिला। उन्होंने 200 किलोग्राम का डेडलिफ्ट, 80 किलोग्राम का बैंच प्रेस और 205 किलोग्राम का स्क्वाट लगा कर सबको चौंका दिया।
खुशबू की इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बावजूद उन्हें अब तक सरकार या प्रशासन की ओर से कोई आर्थिक या प्रशिक्षण संबंधी सहायता नहीं मिली है। सीमित संसाधनों के बीच उन्होंने जो मुकाम हासिल किया है, वह लाखों युवाओं खासतौर पर बेटियों के लिए एक मिसाल है।
लोग उन्हें “बस्तर की शेरनी”, “फिटनेस क्वीन” और “मसल्स वाली बिटिया” कहकर सम्मानित कर रहे हैं।
खुशबू कहती हैं, "समाज की मानसिकता से ऊपर उठकर लड़कियों के लिए फिटनेस और जिम बेहद ज़रूरी है।" खुशबू आगे कहती हैं, “यह तो बस शुरुआत है। अगला लक्ष्य इंटरनेशनल गोल्ड मेडल है, और मैं इसके लिए दिन-रात मेहनत कर रही हूं।”
दूसरी ओर जहां युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के जाल में फंस कर अपनी समय, ऊर्जा,मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य बर्बाद कर रहे हैं वही खुशबू जैसे होनहार इस मायाजाल से उलट अपनी पहचान बना रहे हैं।
खुशबू नाग अब न केवल लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, अपितु छत्तीसगढ़ और देश के लिए भी गौरव का पात्र बन चुकी है।
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