सूबे के विष्णु देव साय सरकार जहां सुशासन पैरवी कर रही है वहीं जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के ग्राम पंचायत राणाटोला में बन रही करोड़ों की नहर-नाली योजना में भ्रष्टाचार की गूंज उठने लगी है। ग्रामीणों ने निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ी और घोर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। साल भर पहले शुरू हुए इस निर्माण कार्य में जगह-जगह दरारें दिखने लगी हैं और नालियों के टूटने की शुरुआत हो चुकी है।
करीब 2 करोड़ 30 लाख रुपये की लागत से बन रही यह चार किलोमीटर लंबी नहर-नाली परियोजना अब सवालों के घेरे में है। नहर नाली समिति के अध्यक्ष का कहना है कि नाली की मोटाई जहां तीन इंच होनी चाहिए, वहां महज डेढ़ से दो इंच में ढलाई कर दी जा रही है। गुणवत्ता की पोल तो तब खुली, जब निर्माणाधीन ढांचे में दरारें आने लगीं और उन्हें पैचवर्क से छिपाया जाने लगा। मुरम को सही नहीं दबाने की वजह टूटने लगी हैं, जबकि मुरम डालने के उपरांत उसे सघन व ठोस होने तक रुककर निर्माण करना था। क्या ये गैर जिम्मेदाराना नहीं है?
पूर्व में भी कलेक्टर के निर्देश पर धस रहे नाली को तुड़वा कर नया बनवाया गया था। जबकि जिम्मेदार इंजीनियर इसे स्वतः संज्ञान में लेते हुए ठीक करवा सकते थे। इस बार भी मामला कलेक्टर तक पहुंचा है, आखिर कब सुधरेंगे गैर जिम्मेदार इंजीनियर क्या सरकारी पगार खानापूर्ति करने के लिए ली जा रही है?
और भी हैरान करने वाली बात यह है कि निर्माण सामग्री – गिट्टी और रेत – को साइट पर तैनात सुपरवाइजर खुलेआम बेच रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार, जिम्मेदार अधिकारी को मटेरियल तो मौके पर दिखा रहे हैं, किंतु दूसरी ओर उसे रातों रात बेंच कर भ्रष्टाचार का परत चढ़ा रहे हैं। इससे निर्माण में कम अनुपात में सामग्री डाली जा रही है और पूरा ढांचा बेहद कमजोर बन रहा है।
क्या कर रहे हैं जिम्मेदार अधिकारी?
लापरवाह इंजीनियर जहां इस घटिया निर्माण पर आंख मूंदे बैठे हैं, वहीं प्रोजेक्ट का नक्शा और स्टीमेट तक दिखाने से बच रहे हैं। इससे साफ जाहिर है, कि मिलीभगत की बू आ रही है। विभागीय ईई आफताब आलम ने मीडिया से कहा कि दरारें आने की स्थिति में उसे तोड़कर दोबारा बनाया जाएगा और निर्माण की पांच साल की गारंटी है जिसकी संपूर्ण जवाबदेही पांच साल तक ठेकेदार की है। चूंकि अभी काम पूरा नहीं हुआ है।
लेकिन सवाल ये है — जब शुरुआत ही भ्रष्टाचार से हो रही है, तो गारंटी का क्या मतलब?
इस पूरे प्रकरण पर कलेक्टर तुलिका प्रजापति ने संज्ञान लेते हुए स्पष्ट कहा है कि जांच समिति गठित कर विभागीय जांच करवाई जाएगी और कार्य को गुणवत्ता के अनुसार पूरा कराया जाएगा।
अब देखना यह है कि लापरवाह इंजीनियर पर क्या कार्यवाही होती है, क्या निर्माण में सुधार होगा या विष्णु देव साय के सुशासन में कागजों पर विकास होगा
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