NBPNEWS/मोहला मानपुर (छ.ग.)। दिनांक 22 अप्रैल 2025, मंगलवार को सरपंच संघ का चुनाव शांतिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। चुनाव प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष पद हेतु लॉट के माध्यम से चयन किया गया, जिसमें ग्राम पंचायत बोगाटोला के सरपंच पुष्पेंद्र भूआर्य को अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया।
वहीं, उपाध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से दो सरपंचों का चयन किया गया—ग्राम पंचायत शेरपार की सरपंच जया मंडावी और ग्राम पंचायत मोहला के सरपंच गजेंद्र पूरामे को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। सचिव पद के लिए ग्राम पंचायत पाटन खास के सरपंच संतोष पुड़ो को मनोनीत किया गया। कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत कोड़ेमरा के सरपंच असवन छेददया को दी गई। मीडिया प्रभारी के रूप में ग्राम पंचायत पेदाकोड़ों के सरपंच मनीष मुलेटी को चुना गया।
चुनाव प्रक्रिया के बाद नव-निर्वाचित पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें संगठन को मजबूत बनाने और आगामी रणनीतियों पर चर्चा की गई। बैठक में कई अहम और गोपनीय मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ, जिससे आने वाले समय में सरपंच संघ की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके।
यह चुनाव न केवल नेतृत्व चयन का माध्यम बना, बल्कि सरपंचों के बीच समन्वय, संवाद और एकजुटता की मिसाल भी प्रस्तुत की। संघ के नए नेतृत्व से ग्रामीण विकास के कार्यों में गति आने की उम्मीद जताई जा रही है। सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को सरपंच समुदाय द्वारा बधाई दी गई और उनके सफल कार्यकाल की कामना की गई।
वही पांचवीं अनुसूची क्षेत्र मोहला में क्षेत्रवासियों को सरपंच और सरपंच संघ से काफी उम्मीदें हैं। ग्रामीणों का कहना है क्षेत्र में चौमुखी विकास जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और मूलभूत समस्याओं को लेकर निरंतर काम करें। साथ ही सरपंच सरकार की योजनाओं के साथ साथ अलग तरीके से अपने पंचायतों को एक आइडियल पंचायत बनाए। गर्मी को ध्यान देते हुए उचित जल संरक्षण, पानी की उपलब्धता, जल बरबादी की रोकथाम साथ ही बारिश से पहले नदी, नाले में पानी को रोकने की व्यवस्था और तालाबो की ग़ाद निकासी व 1972 की अधूरे बांध को पूरा करने की मांग में प्रमुखता से काम करें।
क्षेत्र में निरंतर बढ़ रहे क्राइम को कम करने में नशा सबसे बड़ा कारक बनते जा रहा है, ऐसे में पंचायत स्तर पर ही निगरानी समिति बनाए पीने वालों और पिलाने वालों को समझाए व जागरूक करें जरूरत पड़ने पर कार्यवाही भी करें। जिससे गांव स्तर पर ही क्राइम में कमी लाया जा सके।
दूसरी ओर पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के विचारकों का कहना है कि बाहर से आकर गांव में निवास करने वालों की पूरी जानकारी रखे व निवास प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उचित जांच करे। साथ ही पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आदिवासी अधिकारों की किसी भी तरीके से हनन को रोकने में आगे आए। चूंकि आदिवासी क्षेत्र में आबादी के अनुसार ही प्रतिनिधित्व का मौका मिलता है, अगर आदिवासियों की आबादी कम होती है, तो पांचवीं अनुसूची क्षेत्र का अधिकार छीन सकता है और आने वाले समय में सरपंच, वार्ड पंच से लेकर विधायक जैसे प्रतिनिधित्व करने का मौका छीन सकता है। ऐसे में बाहरी प्रवेश के रोकथाम और गांव स्तर को मजबूत बनाए में उचित कदम सरपंच और सरपंच संघ को उठाने की जरूरत है।
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