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जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों के समर्थन में रैली निकालकर सौंपा ज्ञापन ।

NBPNEWS/22 अक्टूबर : मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी के जिला सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों के समर्थन में आज रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा। संघ ने जिले के कलेक्टर एस जयवर्धन को प्रदेश के मुखिया माननीय विष्णु देव साय, सहकारिता मंत्री और खाद्य मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। समिति के कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे 4 नवंबर 2024 से रायपुर में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। 

ज्ञापन में तीन प्रमुख मांगें रखी गईं:

1. **प्रबंधकीय अनुदान:** छत्तीसगढ़ सरकार से मध्य प्रदेश की तर्ज पर 2058 समितियों को प्रति वर्ष 3 लाख रुपए का प्रबंधकीय अनुदान प्रदान करने की मांग की गई है। इससे समितियों के वित्तीय बोझ को कम करने में सहायता मिलेगी।

2. **वेतन वृद्धि:** सेवा नियम 2018 में आवश्यक सुधार कर वेतन वृद्धि की मांग की गई है। कर्मचारियों का कहना है कि वर्तमान वेतन उनके जीवन-यापन के लिए पर्याप्त नहीं है, और इसमें वृद्धि की जानी चाहिए।

3. **धान सुखत का मुआवजा:** वर्ष 2023-24 में धान के उठाव में देरी के कारण हुए "सुखत" की भरपाई की जाए और विपणन वर्ष 2024-25 में सुखत को धान खरीदी में मान्य किया जाए। संघ का कहना है कि यदि इस मांग को अनदेखा किया गया, तो समिति के कर्मचारियों को बड़े वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

### धान उठाव में देरी और सुखत का मुद्दा

मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में केवल 11 राइस मिलें हैं, जिसके कारण धान का उठाव अप्रैल और मई के महीने में होता है। समय पर उठाव न होने के कारण प्रति वर्ष समिति कर्मचारियों को धान के सूखने की समस्या का सामना करना पड़ता है। जिले के कई उपार्जन केंद्र, जैसे भोजटोला, विचारपुर, सीतागांव, औंधी, और मानपुर में भी समय पर डी ओ (डिलीवरी ऑर्डर) जारी नहीं होता है, जिसका मुख्य कारण राइस मिल की कमी बताई जा रही है।

समिति का आरोप है कि जिला विपणन अधिकारी और खाद्य अधिकारी इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं और डी ओ एवं टी ओ (ट्रांसपोर्ट ऑर्डर) जारी करने में भेदभाव कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में धान का उठाव केवल 10-20 प्रतिशत ही होता है, जबकि अन्य स्थानों पर 50-60 प्रतिशत तक उठाव हो जाता है। इससे समिति को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

### पिछली सरकारों की उपेक्षा

संघ ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारें यह मानने से इंकार करती रही हैं कि धान में सुखत आता है, जबकि सरकारी स्तर पर संग्रहण केंद्रों को सुखत प्रदान किया जाता है। संघ का कहना है कि धान या किसी अन्य अनाज का सुखना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, और इसे रोकने का कोई उपाय नहीं है। 

धान के सुखत के कारण समिति कर्मचारियों को एफआईआर की धमकी दी जाती है, जिससे वे मानसिक तनाव में आ जाते हैं। संघ ने यह भी दावा किया कि कई कर्मचारी इस दबाव के चलते आत्महत्या कर चुके हैं। सुखत की भरपाई के लिए कर्मचारियों को अपनी जमीन-जायदाद बेचनी पड़ती है, और कभी-कभी उन्हें जेल भी जाना पड़ता है। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि इस वर्ष भी धान सुखत का समाधान नहीं निकाला गया, तो समिति कर्मचारी धान खरीदी से पीछे हट जाएंगे।

### प्रशासन से अपील

संघ ने किसानों के हित में सरकार से अपील की है कि वे किसी अन्य एजेंसी से धान की खरीदी कराएं, ताकि किसानों को कोई समस्या न हो। संघ ने यह भी कहा कि वे समिति के भौतिक संसाधन सरकार को उपलब्ध कराएंगे और हर संभव सहयोग करेंगे, लेकिन स्वयं धान खरीदी नहीं करेंगे। संघ का तर्क है कि धान की समय पर उठाव न होने के कारण सुखत होता है, और इसका खामियाजा समिति कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है।

### पिछले वर्ष का अनुभव

पिछले वर्ष जिले के 27 उपार्जन केंद्रों द्वारा 21.72 लाख क्विंटल धान की खरीदी की गई थी, लेकिन समय पर परिवहन न होने के कारण 19 केंद्रों में सुखत का सामना करना पड़ा। इस सुखत की भरपाई के लिए समिति ने कोर्ट में वाद दायर किया है, जो अभी लंबित है।

संघ के अध्यक्ष भाईलाल देवांगन ने कहा कि सरकार ने उनके सभी निवेदन और विनय को ठुकरा दिया है। अब उनके पास धान खरीदी से बाहर होने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि किसान समिति के सम्मानित सदस्य हैं, और वे नहीं चाहते कि उनके कारण किसानों को कोई परेशानी हो। 

इसलिए, इस वर्ष समिति कर्मचारियों द्वारा धान खरीदी नहीं की जाएगी, और वे सरकार से आग्रह करेंगे कि किसी अन्य एजेंसी से धान खरीदी कराई जाए।

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