NBPNEWS/26 सितम्बर/ छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर अंबागढ़ चौकी जिले में स्थित एक छोटे से विद्यालय सेजेस (स्वामी आत्मानंद गवर्नमेंट हिंदी मीडियम स्कूल ) मोहला ने एक बार फिर अपने छात्र की उपलब्धियों से पूरे जिले का नाम रोशन किया है। सेजेस मोहला के कक्षा 12वीं कला संकाय के छात्र प्रभात कुमार कोरेटी ने अपनी अद्वितीय खेल प्रतिभा से राज्य शालेय क्रीड़ा महोत्सव 2024 में दो स्वर्ण पदक जीतकर सभी को गर्व महसूस कराया। उनकी यह उपलब्धि न केवल विद्यालय, बल्कि पूरे आदिवासी अंचल के लिए प्रेरणादायक है। प्रभात कुमार ने 24वीं राज्य स्तरीय शालेय एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 के बालक 19 वर्ष आयु वर्ग के 4x400 मीटर रिले रेस में स्वर्ण पदक हासिल कर एक बार फिर अपने विद्यालय का परचम लहराया।
संघर्ष और मेहनत की कहानी
प्रभात कुमार के इस स्वर्णिम सफर की कहानी केवल एक खिलाड़ी की उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, परिश्रम और आत्मविश्वास की मिसाल है। एक आदिवासी अंचल से निकलकर राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक जीतना आसान नहीं होता, लेकिन प्रभात ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि उसे अवसर में बदल दिया। मोहला जैसे सुदूर क्षेत्र में संसाधनों की कमी, उचित प्रशिक्षण और खेल सुविधाओं की अनुपलब्धता के बावजूद प्रभात कड़ी मेहनत और समर्पण से यह मुकाम हासिल किया।
उनकी सफलता का एक और महत्वपूर्ण पहलू उनके पिता सेवाराम का मार्गदर्शन रहा। प्रभात ने अपने पिता को अपना प्रेरणा स्रोत बताया, जो स्वयं एक अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन उन्हें अपने खेल के सपने को पूरा करने का अवसर नहीं मिल सका। सेवाराम ने अपने अनुभव और खेल के प्रति अपने जुनून को अपने बेटे में देखा और उसे बचपन से ही खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। प्रभात ने बताया कि उनके पिता का मार्गदर्शन, शिक्षकों का सहयोग, और उनके पीटीआई का समर्पण उनके स्वर्ण पदक जीतने में सहायक रहा।
प्रभात कुमार की खेल यात्रा
प्रभात की खेल यात्रा मोहला जैसे छोटे से शहर से शुरू होकर राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं तक पहुंची है। 21 सितम्बर को बिलासपुर में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रभात ने ट्रिपल जंप में प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीता और इसके साथ ही उन्होंने 4x400 मीटर रिले रेस में भी दूसरा स्वर्ण पदक हासिल किया। यह उनके अथक परिश्रम और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण है। इन दोनों स्वर्ण पदकों के साथ ही उनका चयन नेशनल स्तर की प्रतियोगिता के लिए भी हुआ, जो झारखंड के रांची में आयोजित की जाएगी।
प्रभात की इस ऐतिहासिक जीत पर सेजेस विद्यालय में 26 सितम्बर को भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया। विद्यालय के प्राचार्य प्रमोद खन्ना ने प्रभात की इस उपलब्धि को विद्यालय और पूरे जिले के लिए गर्व का विषय बताया। उन्होंने कहा कि प्रभात की मेहनत और उनकी जीत ने विद्यालय के अन्य छात्रों को भी प्रेरित किया है। इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों ने प्रभात का भव्य स्वागत किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
सफलता के पीछे का संघर्ष
प्रभात कुमार की यह सफलता एक दिन की मेहनत का नतीजा नहीं है। यह सालों की कठिन परिश्रम, अनुशासन और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प का परिणाम है। एक छोटे से गाँव में रहते हुए, जहां खेल के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी होती है, वहाँ से राज्य स्तर पर दो-दो स्वर्ण पदक जीतना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह उनकी लगन और खेल के प्रति उनके जुनून का प्रतिफल है।
प्रभात के पिता सेवाराम ने भी अपने बेटे की इस सफलता पर गर्व जताया। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने बेटे को खेल में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और हमेशा उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से सहयोग दिया। अपने खेल के दिनों को याद करते हुए सेवाराम ने कहा कि वे खुद एक अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन उन्हें कभी अपने खेल के सपनों को पूरा करने का मौका नहीं मिला। इसलिए, उन्होंने अपने बेटे में वह सपना देखा और उसे हर कदम पर समर्थन दिया।
विद्यालय और समुदाय की भूमिका
प्रभात की इस सफलता के पीछे न केवल उनके परिवार का योगदान है, बल्कि उनके विद्यालय और समुदाय का भी महत्वपूर्ण योगदान है। सेजेस मोहला के शिक्षकों ने न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में बल्कि खेल के क्षेत्र में भी प्रभात को पूरा समर्थन दिया। उनके पीटीआई और खेल प्रशिक्षकों ने उनके प्रशिक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्हें अपनी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें निखारने का अवसर मिला।
विद्यालय में आयोजित स्वागत समारोह में शिक्षकों ने इस बात पर जोर दिया कि प्रभात की सफलता से अन्य छात्रों को भी खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। प्रभात की इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि अगर किसी में जुनून, मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।
आदिवासी अंचल से उठी उम्मीद की किरण
प्रभात कुमार की इस सफलता ने आदिवासी अंचल में उम्मीद की एक नई किरण जगाई है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर अवसर मिले और सही मार्गदर्शन हो, तो कोई भी बच्चा अपनी क्षमताओं को पहचान कर खेल जगत में भी बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। उनकी यह उपलब्धि अन्य बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकती है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
आगे की चुनौती: नेशनल स्तर पर सफलता का लक्ष्य
प्रभात कुमार की अगली चुनौती नेशनल स्तर पर है। उनका चयन झारखंड के रांची में होने वाली नेशनल प्रतियोगिता के लिए हुआ है, जहां वे अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करेंगे। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होगा, जहां वे न केवल अपने विद्यालय और जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करेंगे।
विद्यालय के प्राचार्य और सभी शिक्षकों ने प्रभात को शुभकामनाएं दी हैं और उम्मीद जताई है कि वे नेशनल स्तर पर भी स्वर्ण पदक जीतकर आएंगे। प्रभात भी अपने अगले लक्ष्य के लिए पूरी तरह तैयार हैं और वे इस अवसर को अपने जीवन का सबसे बड़ा मौका मानते हैं।
निष्कर्ष
प्रभात कुमार की यह सफलता एक प्रेरणादायक कहानी है, जो यह संदेश देती है कि अगर सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो कोई भी बच्चा अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी यह यात्रा केवल खेल की जीत नहीं है, बल्कि संघर्ष, मेहनत, और आत्मविश्वास की जीत है। प्रभात ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे आदिवासी अंचल और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रभात की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसे पहचानने और निखारने की जरूरत होती है। उनकी यह यात्रा निश्चित रूप से खेल जगत में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, और उम्मीद है कि वे आगे भी अपनी सफलता की इस यात्रा को जारी रखेंगे।
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