NBPNEWS/20 सितम्बर/मोहला मानपुर अं चौकी::आदिवासी बहुल क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था की लचर स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के बजाय शिक्षक गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में व्यस्त हैं। बांधाबाजार संकुल के ग्राम टोलागांव स्थित प्राथमिक शाला में 17 सितंबर को एक सम्मान समारोह के दौरान कई शिक्षकों द्वारा अपने स्कूलों में फर्जी उपस्थिति दर्ज कर इस कार्यक्रम में शामिल होने की घटना सामने आई है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम और सरकारी स्कूलों में शिक्षा के सुधार के लिए निरंतर प्रयासों के बावजूद, कई जगहों पर स्कूलों में शिक्षकों द्वारा अपनी जिम्मेदारियों की अनदेखी की जा रही है। इस घटना में शामिल लगभग एक दर्जन शिक्षक और कई संकुल समन्वयक, बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के, पढ़ाई छोड़कर इस सम्मान समारोह में शरीक हुए।
शिक्षक दिवस के 15 दिन बाद भी जारी है सम्मान समारोहों का सिलसिला
5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर, देशभर में शिक्षकों के सम्मान में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। लेकिन, 17 सितंबर को स्कूल के समय में इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन यह सवाल खड़ा करता है कि क्या शिक्षकों का कर्तव्य केवल सम्मान समारोहों में भाग लेना है? शिक्षक दिवस को बीते 15 दिन हो चुके हैं, फिर भी इस प्रकार के गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
### फर्जी उपस्थिति और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में लिप्त शिक्षक
टोलागांव प्राथमिक शाला में आयोजित इस कार्यक्रम के लिए प्रधान पाठक भंजन साहू ने स्कूल समय में ही विकासखंड के लगभग एक दर्जन शिक्षकों और संकुल समन्वयकों को आमंत्रित किया था। इसके लिए बाकायदा आमंत्रण कार्ड छपवाए गए थे। कार्यक्रम के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी एसके धीवर और बीआरसी संतोष पांडे को भी बुलाया गया था, हालांकि उन्होंने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।
आरोप है कि कार्यक्रम में शामिल होने वाले शिक्षकों ने अपने-अपने स्कूलों में फर्जी उपस्थिति दर्ज की और बच्चों की पढ़ाई को बाधित कर इस गैर-शैक्षणिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम के लिए किसी भी तरह की प्रशासनिक अनुमति नहीं ली गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन प्रधान पाठक भंजन साहू और उनकी पत्नी, सहायक शिक्षिका रूपेश्वरी साहू ने किया था। कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पूरी तरह से ठप रही और शिक्षक एक दूसरे का सम्मान करते रहे।
### बिना अनुमति के हो रहे हैं कार्यक्रम, बच्चों की पढ़ाई हो रही है बाधित
जिला पंचायत सदस्य अरुण यादव ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि "छात्र-छात्राओं को अध्यापन कराने से ही शिक्षकों को सच्चा सम्मान मिलेगा। इस प्रकार की गैर-शैक्षणिक गतिविधियों से बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है और इसका असर उनके भविष्य पर पड़ेगा। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"
यादव ने यह भी कहा कि यह घटना सरकारी शिक्षा प्रणाली में मौजूद खामियों को उजागर करती है, जहां कुछ शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं लेते और निजी हितों को प्राथमिकता देते हैं।
### कार्यक्रम के लिए नहीं ली गई थी प्रशासनिक अनुमति
शिक्षक दिवस के 15 दिन बाद भी इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन, वह भी बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के, सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। यह मामला अंबागढ़ चौकी विकासखंड के कई शिक्षकों और संकुल समन्वयकों की संलिप्तता को दर्शाता है, जिन्होंने स्कूल समय में फर्जी उपस्थिति दर्ज कर इस कार्यक्रम में भाग लिया।
विकासखंड के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया है। उनका कहना है कि इस प्रकार के गैर-शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई थी और इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
### शिक्षक सम्मान समारोह या शिक्षा में बाधा?
टोलागांव प्राथमिक शाला में आयोजित इस शिक्षक सम्मान समारोह में अंबागढ़ चौकी विकासखंड के दर्जन भर से अधिक शिक्षक शामिल थे। वे सभी अपने-अपने स्कूलों में फर्जी उपस्थिति दर्ज कर इस समारोह में भाग लेने आए थे।
यह मामला न केवल सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार सरकारी तंत्र के कुछ हिस्से अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ते हुए निजी लाभों में लगे हुए हैं।
### शिक्षा विभाग कर रहा है जांच
इस घटना के बाद शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच में यह देखा जा रहा है कि कार्यक्रम का आयोजन किसके द्वारा और किस उद्देश्य से किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि यदि इस मामले में कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
### निष्कर्ष
यह घटना सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की जिम्मेदारी और नैतिकता पर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर शिक्षक समाज के लिए आदर्श होते हैं और उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की घटनाएं उनके प्रति समाज के विश्वास को ठेस पहुंचाती हैं। सरकारी तंत्र को इस प्रकार की घटनाओं पर सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि बच्चों की शिक्षा में कोई बाधा न आए और शिक्षा का स्तर सुधरे।
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