सभा के मुख्य अतिथि संजीत ठाकुर ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में प्रशासन नाकाम रहा है। उन्होंने बताया कि ग्राम सभाओं द्वारा 37 फाइलें एक साल पहले डीएलसी (जिला स्तरीय समिति) में जमा की गई थीं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। ठाकुर ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन 15 दिनों के भीतर व्यक्तिगत और सामुदायिक वनाधिकार दावों पर उचित कार्रवाई नहीं करता, तो आगामी पंचायत चुनाव का बहिष्कार सभी ग्राम सभाएं करेंगी।
सभा को जिला संयोजक मोहम्मद ख़ान, रमेश हिडमे, राजेंद्र नेताम, राजा लक्षमेंदर शाह और मिर्जा नूर बेग ने भी संबोधित किया। वक्ताओं ने प्रशासन की लचर व्यवस्था की आलोचना करते हुए ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। एकता महिला मंच की संयोजिका बिरोहीन ने भी सभा में महिलाओं की भागीदारी और सामुदायिक अधिकारों की सुरक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए।
वक्ताओं ने ग्रामीण समुदाय को जागरूक और संगठित रहने के लिए प्रेरित किया ताकि वनाधिकार कानून का सही तरीके से क्रियान्वयन हो सके और सामुदायिक अधिकारों का संरक्षण किया जा सके। सभा में उपस्थित लोगों ने मांग की कि प्रशासन वनाधिकार से जुड़े मामलों को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाए और ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाए।
सभा के अंत में यह निर्णय लिया गया कि अगर उनकी मांगों पर प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती है, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा, और सभी ग्राम सभाएं पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेंगी। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता सुखदास मंडावी, महेंद्र कोडपे, देवरती आदि कार्यक्रम में सामिल रहे।
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