बीते गुरुवार, 16 अक्टूबर को जिला मुख्यालय मोहला में एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। मोहला के वार्ड क्रमांक 3 निवासी एक वर्षीय मासूम ओमांश कोर्राम, पिता हीरा कोर्राम, ने दुनिया को अलविदा कह दिया। बच्चे की मौत ने न केवल परिजनों को गहरे शोक में डुबो दिया, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर भी कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
इलाज के बावजूद नहीं बच सका मासूम
जानकारी के अनुसार, ओमांश 13 अक्टूबर से बीमार चल रहा था और उसका इलाज लगातार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहला में चल रहा था। प्रतिदिन परिजन अस्पताल पहुंचकर बच्चे की जांच और दवा ले रहे थे।
15 अक्टूबर की शाम भी जब बच्चे की तबियत बिगड़ी, तो मां उसे अस्पताल लेकर पहुंची। वहां मौजूद ट्रेनी डॉक्टर ने जांच कर नेबुलाइजिंग करवाया और दवा देकर घर भेज दिया।
अगली सुबह, 16 अक्टूबर को लगभग सुबह 8:30 से 9 बजे, मां ने बच्चे को दवा पिलाई और कपड़ा धोने चली गई। कुछ देर बाद लौटने पर देखा कि ओमांश बेहोश था। पड़ोसियों की मदद से उसे तत्काल अस्पताल लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी — बच्चा ब्रॉड डेड (मृत) पाया गया।
अस्पताल में पर्ची के नाम पर अवैध वसूली, ग्रामीणों में आक्रोश
शोक में डूबे परिजनों को और झटका तब लगा, जब अस्पताल में 10 रुपए की पर्ची फीस मांगी गई, जबकि शासन के नियमों के अनुसार 0 से 10 वर्ष तक के बच्चों और 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों से शुल्क नहीं लिया जाता।
लापरवाही व अवैध वसूली को लेकर परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हो उठे। देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग अस्पताल परिसर में एकत्र हो गए और ट्रेनी डॉक्टर तथा पर्ची काटने वाले एक्स-रे लैब टेक्नीशियन योगेश वैष्णव पर कार्रवाई की मांग करने लगे। साथ ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को बुलाने की मांग करने लगे।
ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था और अवैध वसूली के खिलाफ नारेबाजी की। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को भी मौके पर पहुंचना पड़ा। आखिरकार बीएमओ सीमा ठाकुर व थाना प्रभारी कपिल देव की समझाइश के बाद मामला शांत हुआ।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का आरोप – “नियमित डॉक्टर की कमी से हो रही परेशानी”
पड़ोसी तनवीर खान ने आरोप लगाया कि जब बच्चे की तबियत बिगड़ी हुई थी तो ट्रेनी डॉक्टर को उसे एडमिट या रेफर करना चाहिए था। उन्होंने मोहला अस्पताल से ट्रेनी डॉक्टरों को हटाकर नियमित डॉक्टर की नियुक्ति की मांग की। साथ ही मरीज पर्ची काटने वाले को हटाने की मांग रखी है।
वहीं, ग्राम पंचायत मोहला के सरपंच गजेंद्र पूरामे ने कहा कि —
“अगर बच्चे की हालत ठीक नहीं थी, तो उसे घर भेजने की बजाय रेफर किया जाना चाहिए था। अस्पताल में इलाज, सफाई और खाने की व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं है। जिला मुख्यालय होने के बावजूद स्वास्थ्य केंद्र की हालत चिंताजनक है। कई बार डॉक्टरों को कमरे से बुला कर लाना पड़ता है, अस्पताल नर्स के भरोसे होता है, अस्पताल में 24 घंटे डॉक्टर होने चाहिए, क्षेत्रवासियों का मोहला की स्वास्थ्य सेवा से भरोसा उठते जा रहा है।”
बीएमओ का पक्ष – “बच्चा मृत अवस्था में लाया गया था”
बीएमओ सीमा ठाकुर ने बताया कि —
“बच्चा ब्रॉड डेड अवस्था में लाया गया था, बच्चे के भर्ती होते ही उसे बचाने की पूरी कोशिश की गई। बच्चे को सर्दी-बुखार था। ट्रेनी डॉक्टर ने शाम को इलाज किया था। शासन के आदेशानुसार एक से दो वर्ष के बच्चों के लिए सिरप बैन है, इसलिए नेबुलाइजिंग और लेवोसिट्रिजिन दी गई थी। घटना की पूरी जानकारी ली जा रही है"
उन्होंने बताया कि अवैध वसूली करने वाले लैब टेक्नीशियन योगेश वैष्णव को तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटा दिया गया है। हालांकि, उनके निलंबन से अब एक्स-रे सेवा बाधित हो गई है।
सवाल जो अब भी जवाब मांग रहे हैं –
1. क्या मोहला की स्वास्थ्य व्यवस्था पर ग्रामीणों का भरोसा उठ चुका है?
2. जब बच्चे की स्थिति खराब थी तो क्या उसे एडमिट या रेफर नहीं किया जा सकता था?
3. ट्रेनी डॉक्टर के जगह कोई नियमित एक्सपीरियंस डॉक्टर उस बच्चे का इलाज बुधवार शाम को करता तो शायद उसे एडमिट या रेफर करता ।
4. क्या यह डॉक्टर की लापरवाही है या घर पर हुई गलती?
5. क्या बच्चे का इलाज कहीं और भी चल रहा था — और अगर हाँ, तो क्या बैन सिरप का उपयोग हुआ?
6. ट्रेनी डॉक्टरों के स्थान पर नियमित डॉक्टरों की नियुक्ति कब होगी?
7. पर्ची के नाम पर कब से और कितनी अवैध वसूली की जा रही थी — क्या वैष्णव पर एफआईआर दर्ज होगी?
8. मरीजों से वसूले जाने वाले शुल्क का चार्ट सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं चस्पा किया जाता है?
9. स्वास्थ्यकर्मी की कमी से जूझ रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहला जो कि जिला मुख्यालय में है, ऐसे में कब पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य कर्मियों उपलब्ध होंगे?
मोहला के इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं वास्तव में आम जनता के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद हैं?
ओमांश की मौत केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि उस सिस्टम की नाकामी है जो जनता की सेहत की रक्षा के लिए बना है।
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