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फर्जी जाति प्रमाण पत्र विवाद: अब जांच समिति के समक्ष निरस्तीकरण की मांग, नम्रता सिंह पर घिरा संकट


NBPNEWS/07 जून 2025/मोहला मानपुर अं चौकी / 

राजनीतीकरण का शिकार या आदिवासियों की हक का हनन....? नवीन जिला मोहला मानपुर अं चौकी में भारतीय जनता पार्टी की जिला अध्यक्ष और वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष नम्रता सिंह पर अनुसूचित जनजाति (ST) का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर चुनाव लड़ने के आरोप लगातार गहराता जा रहा है। पहले ही इस प्रकरण को लेकर कलेक्टर को आवेदन दिया गया था, वहीं अब इस मामले में एक और बड़ा मोड़ आ गया है। सहायक आयुक्त जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति को दिए गए आवेदन में नम्रता सिंह का प्रमाण पत्र निरस्त करने की विधिवत मांग की गई है।

आवेदन में यह उल्लेख किया गया है कि नम्रता सिंह के पिता स्व. नारायण सिंह ओडिशा राज्य के निवासी थे। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति का लाभ लेना कानूनन गलत है। आवेदन में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्धारित "अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग जाति प्रमाणपत्र जांच अधिनियम 2013" की धारा 8 से 13 का हवाला दिया गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि एक राज्य की अनुसूचित जनजाति को दूसरे राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया जा सकता, जब तक कि वह वहां का मूल निवासी न हो।

आवेदक सुमन सिंह मंडावी ने समिति से आग्रह किया है कि जाति प्रमाण पत्र की विधिवत जांच कर उसे निरस्त किया जाए, जिससे कि जातिगत आरक्षण और योजनाओं का लाभ वास्तविक पात्रों तक पहुंच सके।

इसके साथ आवेदक ने प्रमाण के रूप में नम्रता सिंह के जाति प्रमाण पत्र की प्रति और वर्ष 2011 की आईएएस अधिकारी सूची संलग्न कार्यालय को की है।

इस विषय पर सहायक आयुक्त पी. सी. लहरे आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने कहा कि आवेदन प्राप्त हुआ है, जिला स्तरीय छानबीन समिति के माध्यम से नम्रता सिंह की जाति प्रमाण पत्र की जांच की जाएगी, पत्र व्यवहार कर आवश्यक दस्तावेजों की मांग जाएगी छानबीन कर ही वास्तविकता की पहचान की जाएगी कि जाति प्रमाण पत्र फर्जी है या सही है।

इस प्रकरण की पृष्ठभूमि में यह भी सामने आया है कि जिला पंचायत चुनाव के दौरान नम्रता सिंह ने मोहला क्षेत्र के सक्षम अधिकारी से पूर्व में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर नामांकन दाखिल किया और चुनाव भी जीते। क्या उनके पिता व दादा जी का परिवार 1950 से पूर्व का कोई भी राजस्व दस्तावेज या स्थानीय संबंध मोहला क्षेत्र से प्रमाणीत हुआ होगा? इसके अलावा उनके पिता का निवास प्रमाण पत्र ओडिशा राज्य से जारी हुआ था, जो कि अंतर-राज्यीय मान्यता की शर्तों पर खरा नहीं उतरता।

क्या नम्रता सिंह की जाति प्रमाण पत्र 2019 से पूर्व नहीं बनी होगी?

नम्रता सिंह को उनके शिक्षा के समय क्या प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं पड़ी होगी या जनरल कैटेगरी से ही शिक्षा दीक्षा हुई होगी?

आखिर 2019 के पूर्व कौन सी शक्तियों ने प्रमाण पत्र बनवाने से रोका होगा?

क्या मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 का हवाला दिया गया होगा? 

क्या नम्रता सिंह की पिता व दादा जी का निवास छत्तीसगढ़ से संबंध होगा? 

क्या ग्राम सभा के अनुमोदन से प्रमाण पत्र बना होगा?

ये तमाम सवालों के जवाब जांच उपरांत ही समझ आएगी कि क्या सत्य है या राजनीतिकरण के लिए छवि धूमिल की जा रही है....।



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