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भारत सरकार का बड़ा कदम: 156 दवाओं पर प्रतिबंध के बाद अब 34 मल्टीविटामिन्स की समीक्षा




NBPNEWS/मोहला: सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के प्रयास में, भारत सरकार ने हाल ही में 156 कॉकटेल या संयोजन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बाद अब सरकार 34 अतिरिक्त मल्टीविटामिन्स की समीक्षा कर रही है और इन पर भी प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। ये दवाएं बुखार, खांसी, सर्दी, एलर्जी और स्किन की बीमारियों में इस्तेमाल की जाती हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इन दवाओं को खाने से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. इस वजह से इनपर प्रतिबंध लगाया गया है. अब आपने मन में एक बड़ा सवाल ये होगा की फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाएं होती क्या हैं और क्या आप भी इनको खाते हैं. इनकी पहचान कैसे की जाती है. आपने इस सवालों के बारे में एक्सपर्ट्स ने बताया है.


एक्सपर्ट्स के मुताबिक, फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाएं (एफडीसी) वो मेडिसिन होती हैं जो एक से ज्यादा दवाओं के कॉम्बिनेशन से बनी होती है. मतलब अगर आपको डॉक्टर ने अलग- अलग तीन दवाएं लिखी हैं, लेकिन आप तीन दवाएं नहीं ले सकते या दवा लेना भूल जाते हैं तो इसके स्थान पर एक ही दवा ले सकते हैं. इसी को कॉम्बिनेशन दवाएं कहा जाता है. इस एक दवा में ही तीनों मेडिसिन के सॉल्ट होते हैं. ये दवा होती तो एक है, लेकिन असर तीन या दो जैसा भी कॉम्बिनेशन मौजूद है उसके हिसाब से ही करती हैं. ये दवाएं ब्रांड नेम से आती हैं और इनमें कई दवाओं का कॉम्बीनेशन होता है.
क्यों दी जाती हैं फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाएं
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग में एचओडी प्रोफेसर डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि दुनिया में हजारों प्रकार की फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाएं मौजूद है. ये दवाएं उन मरीजों को दी जाती हैं जिनका गंभीर बीमारियों का इलाज चल रहा है और आम दवा से उनको असर नहीं पड़ रहा है. ये दवाएं सिंगल कॉम्बिनेशन मेडिसिन की तुलना में तुरंत राहत देती हैं और दर्द या समस्या को ठीक कर देती हैं. इसी वजह से इनको ज्यादा लिखा जाता है. लेकिन इनके नुकसान भी हैं.

कैसे पता चलता है की दवा कॉम्बिनेशन वाली है
डॉ किशोेर बताते हैं कि फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाएं आमतौर पर ब्रांड के नाम के साथ आती हैं और उनमें कई दवाओं का कॉम्बिनेशन होता है. उदाहरण के तौर पर क्रोसिन एक बांड का नाम है. ये दवा का नाम नहीं है. क्रोसिन में दो कॉम्बिनेशन होते हैं. इसमें कैफीन और पैरासिटामोल होता है. इसमें पैरासिटामोल सिरदर्द और बुखार को कम करती है, जबकि कैफीन माइग्रेन जैसी परेशानी यानी सिरदर्द में राहत दिलाती है. यानी, क्रोसिन एक ब्रांड का नाम है और इसमें दो दवाओं का कॉम्बिनेशन है. ऐसी दवाओं को फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाएं कहते हैं.

सूत्रों के अनुसार, सरकार द्वारा जारी की गई एक राजपत्र अधिसूचना में बताया गया है कि इन 34 मल्टीविटामिन्स का मूल्यांकन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जा रहा है। यह समिति इस बात की समीक्षा कर रही है कि क्या ये मल्टीविटामिन्स तर्कसंगत और सुरक्षित हैं।

सरकारी सूत्रों का कहना है, "विशेषज्ञ समिति ने गहन समीक्षा के बाद पाया कि इनमें शामिल अवयवों का कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और ये मनुष्यों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।" इसके अलावा, औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) ने भी इन दवाओं की जांच की और पाया कि इनका उपयोग न केवल अनावश्यक है बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

अधिसूचना में कहा गया है, "जनहित को ध्यान में रखते हुए, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के अंतर्गत इन एफडीसी (Fixed-Dose Combinations) के विनिर्माण, बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है।"

प्रतिबंधित दवाओं में कुछ प्रमुख संयोजन शामिल हैं, जैसे एमाइलेज + प्रोटीज + ग्लूकोएमाइलेज + पेक्टिनेज + अल्फा गैलेक्टोसिडेज + लैक्टेज + बीटा-ग्लूकोनेज + सेल्युलेस + लाइपेज + ब्रोमेलैन + ज़ाइलेनेज + हेमीसेल्यूलेज + माल्ट डायस्टेस + इनवर्टेस + पपैन। इसके अलावा, मेफेनामिक एसिड + पैरासिटामोल इंजेक्शन को भी मनुष्यों के लिए संभावित खतरे के कारण प्रतिबंधित किया गया है।

सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य जनता को तर्कहीन और संभावित रूप से खतरनाक दवाओं से बचाना है। जनता को सलाह दी जाती है कि वे इन प्रतिबंधित दवा संयोजनों का उपयोग न करें और अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

सरकार के इस कदम को स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा व्यापक रूप से सराहा जा रहा है, क्योंकि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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