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जिले भर में चल रही है अवैध रेत व मुरूम का खुलेआम कारोबार

     फाइल फोटो - ग्राम भड़सेना

NBP NEWS ,08 जुलाई 2024 /अवैध रेत व मुरूम उत्खनन : माइनिंग विभाग के संरक्षण में हो रही है गतिविधियाँ जिला मोहला मानपुर अं चौकी के विभिन्न हिस्सों में अवैध रेत और मुरूम खनन एक गंभीर समस्या बन चुकी है। आए दिन अवैध उत्खनन व बिक्री हो रही है, शासकीय अवकाश के दिन ग्राम पिंकापार, भड़सेना, बांधा बाजार, उरवाही, सांगली, नवागांव, कौडिकासा, अंबागढ़ चौकी और एकटकन्हार  खनन चरम पर होती है, वहीं विभागीय कार्यवाही से पहले खनन माफिया हो जाते है सतर्क । कलेक्टर एस जयवर्धने के संयुक कार्यवाही की आदेश के बावजूद भी नहीं होती है कोई ठोस कार्यवाही।
                                   इस उत्खनन की वजह से नदियों का प्रवाह बाधित हो रहा है, पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, और स्थानीय समुदायों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि कई स्थानों पर माइनिंग विभाग के संरक्षण में यह अवैध गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं।
फाइल फोटो - अंबागढ़ चौकी

 माइनिंग विभाग की भूमिका
अवैध उत्खनन को रोकने के लिए जिम्मेदार माइनिंग विभाग पर ही कई बार इन गतिविधियों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं। लोगों का आरोप है कि विभाग के कुछ अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और अवैध उत्खनन माफियाओं के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के इस मिलीभगत से अवैध खनन करने वालों को न केवल सुरक्षा मिलती है, बल्कि उन्हें सरकारी प्रक्रियाओं से भी बचने में मदद मिलती है। साथ ही माइनिंग विभाग में कर्मचारियों की कमी का हवाला दिया जाता है।
 अवैध उत्खनन के प्रभाव
1. **पर्यावरणीय नुकसान:** अवैध रेत और मुरूम उत्खनन से नदियों और पर्यावरण को भारी नुकसान होता है। नदियों का तल नीचे चला जाता है, जिससे पानी की धाराएं बदल जाती हैं और जल स्तर घटता है।
   
2. **स्थानीय समुदायों पर प्रभाव:** अवैध उत्खनन से स्थानीय समुदायों के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। खेती प्रभावित होती है, जल स्रोत सूख जाते हैं, और कई बार भूस्खलन जैसी घटनाएँ भी होती हैं।
   
फाइल फोटो- ग्राम मेटेपार- कौड़ीकसा 
3. **राजस्व की हानि:** जिले में नहीं है एक भी सरकारी रेत व मुरूम खदान जिसके वजह से चोरिया और अवैध उत्खनन से सरकार को भारी राजस्व हानि होती है। इस उत्खनन से प्राप्त सामग्री का बिक्री मूल्य सरकार को नहीं मिलता, जिससे विकास कार्यों के लिए धन की कमी होती है इसे देखते हुए सरकार को उचित कदम उठाते हुए खदाने खोलने की जरूरत है।

हाल ही के उदाहरण
हाल ही में कई शिकायते या न्यूज में खबर चलने के उपरांत भी कार्यवाही करने में विभाग सुस्त रही वही कार्यवाही से पहले उत्खनन माफिया सतर्क हो जाते है।
हाल ही में कई जिलों में अवैध उत्खनन के मामलों का पर्दाफाश हुआ है। छापेमारी में पाया गया कि खनन विभाग के कुछ अधिकारियों ने अवैध उत्खनन माफियाओं के साथ मिलकर इस धंधे को चलाया। यह भी सामने आया कि इन गतिविधियों को रोकने के लिए बनाई गई समितियाँ और टीमें भी इसमें लिप्त थीं।

निष्कर्ष
अवैध रेत और मुरूम उत्खनन एक गंभीर समस्या है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि स्थानीय समुदायों और सरकार को भी नुकसान हो रहा है। माइनिंग विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत इस समस्या को और भी गंभीर बना देती है। इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाना और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना अत्यंत आवश्यक है।

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