मोहला, 24 जून 2025: सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों के लिए 16 जून को मोहला में आयोजित महाग्राम सभा की रैली व सभा ने राज्य और केंद्र सरकार तक मीडिया के माध्यम से आदिवासियों की आवाज़ पहुंचाई। 22 ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने दुर्गा चौक से कलेक्ट्रेट तक शांतिपूर्वक रैली निकाली और वनाधिकार प्रमाण-पत्र जारी करने की मांग पर जोर दिया।
इस आंदोलन के परिणामस्वरूप “जनजाति सलाहकार परिषद, छत्तीसगढ़” के सदस्य कृष्ण प्रसाद वैष्णव ने 23 जून को मोहला का दौरा किया। उन्होंने ग्रामीण नेताओं से मुलाकात कर वादा किया कि वे डीएफओ (वनमंडलाधिकारी) और अन्य संबंधित अधिकारियों से निदान के लिए बातचीत करेंगे। साथ ही वैष्णव ने स्पष्ट रूप से कहा कि संसद द्वारा बनाया गया वन अधिकार अधिनियम (FRA 2006) कानूनी रूप से सभी प्रक्रियाओं पर प्राथमिकता रखता है, और इसका पालन सुनिश्चित होना चाहिए।
वैष्णव ने प्रशासन से अनुरोध किया कि:
1. ग्रामीण समुदाय की सामुदायिक वन पट्टा तुरंत जारी की जाए।
2. वन निगम की लीज समाप्त कर, ग्रामसभा के नाम पारदर्शी ढंग से हस्तांतरित की जाए।
3. हर ग्राम के अनुमोदित रिकॉर्ड का सत्यापन कर, लंबित प्रमाण-पत्र वितरित किए जाएं।
भाजपा नेता रमेश हिड़ामे ने बताया कि 2024 में 22 ग्रामों के वनाधिकार मंजूर हो चुके हैं, लेकिन प्रमाण-पत्र जारी नहीं हुए। सांसद संतोष पांडे के हस्तक्षेप से कुछ प्रमाण-पत्र बांटे गए थे, जिन्हें बाद में वापस ले लिया गया था। इससे ग्रामीणों में गहरा रोष पैदा हुआ। रतन ताराम ने आरोप लगाया कि राजनीतिक तरकीबों से प्रकृति और वनवासी दोनों की अस्मिता पर प्रहार हो रहा है।
ग्रामीण नेताओं ने वैष्णव से अपील की है कि वे स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ मिलकर वनाधिकार अधिनियम का सख्ती से पालन कराएं और निगम-लीज़ समाप्ति की प्रक्रिया तेज करें, ताकि आदिवासियों को उनका संवैधानिक हक़ मिले। महाग्राम सभा के अध्यक्षों ने भी एकता बनाए रखने का संकल्प दोहराया और कहा कि आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन और तेज किया जाएगा
0 टिप्पणियाँ